हसण्यात खरी मजा आहे
हसण्याएवढ निष्पाप कुणीच नाही मग ते स्वतःवर असो की दुसऱ्यावर
Saturday, October 23, 2010
साधू: कुछ दान करो बेटा?
संता ने जेब से पाँच रूपये निकाल कर दे दिए!
साधू (खुश होकर): मांग बेटा क्या मांगता है?
संता: बाबाजी, मेरे पाँच रूपये वापिस दे दो!
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